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if only - epr iyer lyrics

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[epr iyer “if only” के बोल]

[intro]
if only she lived in a better world, a better place, far away from this wretched world that we are a part of
things would have turned out different, if only

[verse 1]
उन्नीस की थी वो in a different universe
जब tv को करा on, nirbhaya didn’t occur
everything was quite normal, she focused on her studies
और रास्ते रात के safe, ना eve*teasing का डर
थी डॉक्टर बनने की ख्वाहिश तो neet को करा clear
mbbs पाँच साल, post grad’ को then appear
admission अच्छे एक college में, parents को करना proud था
सुरक्षित थी ये दुनिया, public transport पे ना doubt था

[bridge]
जहाँ रिश्वत लेते पुलिस नहीं (जहाँ रिश्वत लेते पुलिस नहीं)
and our leaders, they ain’t corrupted (and our leaders, they ain’t corrupted)
जिस धरती पर पूजे दुर्गा को (जिस धरती पे पूजे दुर्गा को)
होता महिषासुरों का वध भी वहीं (होता महिषासुरों का वध भी वहीं)
वो समाज ना victim को ही blame (वो समाज ना victim को ही blame)
और अपराधियों को मिले bail नहीं (और अपराधियों को मिले bail नहीं)
माने जिस भारत को अपनी माता हम (माने जिस भारत को अपनी माता हम)
अपमान उसके बेटियों पर सहते नहीं (अपमान उसके बेटियों पर सहते नहीं)
[verse 2]
कड़ी मेहनत और merit के बल पे r. g. kar
बनी pg student trainee doctor, sincere थी बहुत (sincere थी बहुत)
’cause जानें बचाना, that’s what she meant to do
workin’ endlessly and sometimes sleeplessly too
इकतीस की only ‘n’ a long life ahead
सपने phd के, gotta do something for mum and dad (something for mum and dad)
devoted physician अपनी थी duty पे
her friends used to like her work ethic and appreciate
और ऐसी एक shift में august 8 की रात
thirty*six hours की duty और कड़ी दौड़*भाग
उसने जो करा एक call, बताया माँ को अपनी
“মা তুমি খেয়ে শুয়ে পড়ো, আমি ঠিক আছি”
she ordered food at 1 a.m. with her colleagues
celebrating the news of silver by nc (nc)
जब हुआ time for her friends and for her to leave
that’s when a thought stopped her from the room that she was enterin’
she had a feeling, उसे घर को वापस जाना चाहिए
it’s better to sleep at home that she was super tired
straight to the arms of her mother, hectic friday
so she went home 3 a.m. 9 august की morning (9 august की morning)

[verse 3]
काश ये होता तो अब भी होती वो ज़िंदा
काश ये होता तो होती ना उसकी हत्या
काश ना खोते एक और promising बेटी को
now the damage is done ’cause we fed our daughters to predators
काश जो चलता अस्पतालों में कोई racket ना
काश हमारे princ*p*ls भी होते ईमानदार
काश ये politics इंसाफ का ना कातिल बनता
आज़ाद होकर ना आज़ाद, कौन ज़िम्मेदार?
काश ना कोई माँ*बाप को ऐसी दुख मिले
काश हमारी police भी होती vigilant
काश ना रहती वो हैवानियत की दुनिया में
कन्याश्री दिवस, जब कन्याओं की होती हत्या है?
काश हमारे countrymen, we had a conscience
काश no patriarchy, no societal ills
काश होती हमारी रीढ़ की हड्डी to speak
होते ना अपने देश में rape हर एक सोलह मिनट
काश ना होता scaw division की ज़रूरत कभी
काश no cover ups, murder ain’t a suicide
काश harassing was never this effing normal
राम की जन्मभूमि पर never a sita could survive
काश ना किसी का file, court के चक्कर खाए
काश ना पिता, बेटी की चिता खुद जलाए
काश और काश से रंगा लाल तिरंगा अपना
द्रौपदी के सौ चिल्लाने पे इसलिए ना गोविंद आए

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